Saturday, February 19, 2011

कल रात

कल रात




कल रात,

अँधेरे हो चुके आंगन में,

लैम्प की मद्धम लौ,

रेडियो पे पुराने फिल्मो के गाने,

आकाश में निकला चाँद,

कभी छुपता, कभी निकलता,

झीनी बादलों से अठखेलिया करता,

तेरी याद दिला रहा था


कल रात,

बहुत बहुत सर्द थी, आती जाती हवाए,

तेरे साँस की खुशबू चुराए,

मेरे कम्बल के पास बैठी थी.

उन हवाओं की नरम धरकनें,

मुझे तेरी गीत सुना रहा था,

तेरे दुपट्टे को हुकर आई हवा

तेरी याद दिला रहा था



कल रात,

ख्वाबो में अनेक सिलसिले हुए

तमन्नाये जगी, मैंने समझाया

यादो ने पुराने जख्म उधेड़े,

एक दर्द उठा, हम रोये

उधरते टांके की उभरती टीस


तेरी बाते थपकिया देती मुझे सुला रही थी,

तेरी याद दिला रही थी...... कल रात

३ जुलाई २०१० (रात १ बजे )

Friday, February 19, 2010

पुराने पुल पे...

कही पुराने पुल पे ,
चुपचाप सतर्क चलते , तेज कदम
फिज़ाओं में चिपके मेरे एहसास ,
मुझे ढूढती, मुझे सोचती ,
मुझे महसूस करती,
कल रात के सपनो में खोयी,
सुनी , लाजबाब, आँखें,

हर रोर सुबह, उसी पुल पे
रोज आते वक़्त , जाते समय
मेरे वजूद को ढूंढती , मुझसे दूर
मुझसे मिलने रोज मेरे इंतज़ार करती
हवाओ में मुझे टटोलती आँखें


कही दूर , दुनिया के किसी और कोने में
अपने कमरे में बैठा हुआ
सोचता , कोई मुझे याद कर रहा भी होगा
कोई मुझे सोच रहा भी होगा,
चुपचाप बिस्टर पे लेटे , सुने कमरे में
बेजान सी तस्वीर को देखता
सोचता , रोता, पुँरानी बातो को याद कर हँसता ,

ख्वाब बुनते मेरी बेजान सी आँखें

Monday, April 13, 2009

हिलोर मारे........

सावन का बयार बड़ा जोर मारे रे
मन डोल डोल के हिलोर मारे रे

हम यही बैठे रहे
गुमान में ऐठे रहे

हवा आ के गुजर गई
में देखता रहा किधर गई

पेड़ को जोड़ जोड़ ,झकझोर मारे रे
मन डोल डोल के , हिलोर मारे रे

ख्याल में खोये रहे
पुआल पे सोये रहे

आस्मां जब ठहर गई
अंधिया जब उखड़ गई

मोर सब वन के , नाचे जोर मारे रे
मन डोल डोल के , हिलोर मारे रे


तख्त पे परे रहे
नींद में गरे रहे

बादले गरजती रही
अस्मां बोलती रही

अस्मां का श्रृंगार बड़ा , बेजोर लगे रे
मन डोल डोल के , हिलोर मारे रे

पेड़ सब डटे रहे
एक दुसरे से सटे रहे

अंधिया जब विकल हुई
चिर के सब निकल गई

पेड़ सब झूम झूम , मरोर मारे रे
मन डोल डोल के , हिलोर मारे रे

भवर वही पड़े रहे
फूल से सटे रहे

उन्हें कुछ ख़बर नही
कब शाम से शहर हुई

रस चूस चूस के , वह सब तोड़ मारे रे
मन डोल डोल के , हिलोर मारे रे




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Sunday, February 22, 2009

रहने दे

मत छीन , मेरे आंखों में कुछ ख्वाब रहने दे
मेरे मोहब्बत के हर दौर की, याद रहने दे

करार छीन के न मुझसे , मुझे बेकरार न कर
जीने के लिए मुझमे , कुछ तो मेरे यार रहने दे


मेरे दिल की बेचैनिया ही मुझे तस्कीन देती है
ये बेताब हे अच्छा है इसे अब बेताब रहने दे


तोड़ कर इसे आबाद करने की कोशिश न कर
ये बर्बाद ही अच्छा है , इसे अच्छा बर्बाद रहने दे


मुझे अच्छा बना के , अब क्या होगा हासिल तुझे
'असर' ख़राब हो के खुश है , उसे ख़राब रहने दे

Saturday, January 24, 2009

बहूत है

तू शमा है , और तेरे यहाँ परवाने बहुत है
सुना है तेरे शहर में ही, तेरे दीवानें बहुत है

वो तो हम है जो तेरे गम छुपाने को पीते है
वरना इस दुनिया मैं पीने के बहाने बहुत है

क्या करना शराबो का जो तू आँखों से पिलाती हो
फिर भी तेरे शहर में क्यू , मैखाने बहूत है

हमने पीना छोडा है , पिलाना नही छोडा
कभी आ के देख मेरे घर में पैमाने बहुत है

अब कोई साथ चलता है तो डर जाता 'असर'
तेरे गली को छोड़ तेरे शहर में वीराने बहूत है



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छोड़ दिया

जब से हमने घरो के अपने , पैमानों को है तोड़ दिया
लोगो ने मेरे घरो पे तब से , आना जाना छोड़ दिया

एक बात है मुझे दुनिया से , कुछ मिला हो या नही
पर पीने का सलीका मुझे इन , मैखानो ने बेजोड़ दिया

शराब को छोड़ और हर बात की मिसाल है मेरी यहाँ
जिसे हमने छोड़ दिया , उसे मुकम्मल छोड़ दिया

क्या बताये पर कुछ तो बात है मोहब्बत में , मिया
लोगो ने जीना सिखा इसमे , हमने जीना छोड़ दिया

क्यों बदनाम करते हो मुझे इस शहर में वाईज , लोग
क्या कहेंगे , क्या सोचेंगे , जो हमने पीना छोड़ दिया

कई पैमानों न ख़ुदकुशी कर ली है मेज से गिर कर
जब सुना उन्होंने , ' असर ' ने मैखाने आना छोड़ दिया



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मेरा टूटना अब और भी कुछ असां हो गया

न जाने कब , क्या से क्या हो गया
किस बात पे न जाने वो खफा हो गया

कीससे पुछु इस वाकयात की हकीकत
जो रकीब था मेरा उनका राजदां हो गया

और कुछ कहने की जरूरत नहीं तुझे ,
सब कुछ तेरी निगाह से बयान हो गया

डुबो दे मुझे सफिने में ही , नाखुदा मेरे
ज़िन्दगी से मैं अब , परेशां हो गया

छोड़ कर चले गए जो लोग इनमे रहते थे
दिल मेरा भी अब , खाली मकां हो गया

जी भर के लुट ले मेरे चमन को सैयाद
मेरे लिए तो बेकार अब ये जहां हो गया

इस कदर भीगा की मेरी बुनियाद हिल गयी
मेरा टूटना अब और भी कुछ असां हो गया

लोग खुश थे की , मेरे की दिवार गिर गयी
उनके लिए तो उधर से , रास्ता हो गया

बहुत दर्द होता था तेरे सीनें मैं ' असर '
अच्छा ही हुआ जो दिल तेरा वीरां हो गया



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