न जाने कब , क्या से क्या हो गया
किस बात पे न जाने वो खफा हो गया
कीससे पुछु इस वाकयात की हकीकत
जो रकीब था मेरा उनका राजदां हो गया
और कुछ कहने की जरूरत नहीं तुझे ,
सब कुछ तेरी निगाह से बयान हो गया
डुबो दे मुझे सफिने में ही , नाखुदा मेरे
ज़िन्दगी से मैं अब , परेशां हो गया
छोड़ कर चले गए जो लोग इनमे रहते थे
दिल मेरा भी अब , खाली मकां हो गया
जी भर के लुट ले मेरे चमन को सैयाद
मेरे लिए तो बेकार अब ये जहां हो गया
इस कदर भीगा की मेरी बुनियाद हिल गयी
मेरा टूटना अब और भी कुछ असां हो गया
लोग खुश थे की , मेरे की दिवार गिर गयी
उनके लिए तो उधर से , रास्ता हो गया
बहुत दर्द होता था तेरे सीनें मैं ' असर '
अच्छा ही हुआ जो दिल तेरा वीरां हो गया
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Saturday, January 24, 2009
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