तू शमा है , और तेरे यहाँ परवाने बहुत है
सुना है तेरे शहर में ही, तेरे दीवानें बहुत है
वो तो हम है जो तेरे गम छुपाने को पीते है
वरना इस दुनिया मैं पीने के बहाने बहुत है
क्या करना शराबो का जो तू आँखों से पिलाती हो
फिर भी तेरे शहर में क्यू , मैखाने बहूत है
हमने पीना छोडा है , पिलाना नही छोडा
कभी आ के देख मेरे घर में पैमाने बहुत है
अब कोई साथ चलता है तो डर जाता 'असर'
तेरे गली को छोड़ तेरे शहर में वीराने बहूत है
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Saturday, January 24, 2009
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bahut khub... bahut badhiya..
ReplyDeleteक्या बात है बेहतरीन भाई
ReplyDeleteवो तो हम है जो तेरे गम छुपाने को पीते है
वरना इस दुनिया मैं पीने के बहाने बहुत है
एक शेर क्या मैं भी अर्ज करूं अगर इजाजत हो आपकी
वो तो हम हैं जो तेरे बलाग पर कमेंट करते हैं
वरना इस दुनिया में 'असर' कमेंटर बहुत हैं
हा हा हा नहीं बनी मुझसे बात
आज आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है की आपके शब्दों को नए रूप, नए अर्थ और व्यापक दृष्टि मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकें.....
ReplyDeleteकभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें.
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर.
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteएक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteहमने पीना छोडा है , पिलाना नही छोडा
ReplyDeleteकभी आ के देख मेरे घर में पैमाने बहुत है
बहुत सुंदर है...............
स्वागत है आप का